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Teesra kalma tayaar kaise hua जानें और ईमान ताज़ा करें

 

तीसरा कलमा कैसे तैयार हुआ?

तीसरे कलमे की तैयारी का एक ईमान अफ़रोज़ वाक़िया । इस  तहरीर में पढ़ें और जानें के तीसरा कलमा कैसे तयार हुआ और अपना ईमान ताज़ा करें 

सवाल: तीसरा कलमा कैसे तैयार हुआ?

जवाब: हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा फरमाते हैं कि अल्लाह तआला अज़ व जल ने अर्श तैयार करने के बाद फरिश्तों को इसके उठाने का हुक्म सादिर फरमाया। फरिश्तों को वज़नी महसूस हुआ। फरिश्तों को उस वक़्त "सुब्हानल्लाह" पढ़ने को कहा गया। जब फरिश्तों ने पढ़ा तो अर्श का उठाना बिल्कुल आसान हो गया।
फरिश्तों ने मुद्दतों इस कलमे का विर्द जारी रखा। यहाँ तक कि हज़रत आदम अलैहिस्सलाम मआरिज़े वुजूद में आ गए। हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को छींक आई तो "अल्हम्दुलिल्लाह" कहने का हुक्म हुआ। जब उन्होंने "अल्हम्दुलिल्लाह" पढ़ा, तो अल्लाह तआला अज़ व जल ने जवाब दिया, "यर्हमुकल्लाह व लहाज़ा ख़लक़तुक" यानी "अल्लाह तुम पर रहमत फरमाए, मैंने इसी लिए तुम्हें पैदा किया है।"
फरिश्तों ने यह कलमा सुनकर "सुब्हानल्लाह" के साथ "अल्हम्दुलिल्लाह" मिलाकर पढ़ना शुरू कर दिया। सदियों बाद हज़रत नूह अलैहिस्सलाम को जो बुतपरस्ती के खिलाफ "ला इलाहा इल्लल्लाह" की तलकीन का हुक्म हुआ, तब फरिश्तों ने इस कलमे को मिलाकर "सुब्हानल्लाह वल्हम्दुलिल्लाह वला इलाहा इल्लल्लाह" पढ़ना शुरू कर दिया।
यहाँ तक कि हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम का दौर आया। आपको हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम की क़ुर्बानी करने का हुक्म मिला। अमल-ए-हुक्म करने लगे तो हज़रत जिब्रईल अलैहिस्सलाम जन्नत से दुंबा लेकर हाज़िर हुए ताकि इस्माईल अलैहिस्सलाम की जगह दुंबा ज़िबह हो। हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की ज़बान मुबारक से खुशी-खुशी "अल्लाहु अकबर" का लफ़्ज़ निकला।
फरिश्तों ने इसको भी मिला लिया और अब यूँ पढ़ने लगे:
"सुब्हानल्लाह वल्हम्दुलिल्लाह वला इलाहा इल्लल्लाह वल्लाहु अकबर।"
हज़रत जिब्रईल अलैहिस्सलाम ने यह सारा साबिक़ा वाक़िया जनाब मोहम्मद रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को सुनाया। तो आपने तअज्जुब करते हुए फरमाया: "ला हौल वला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलीय्यिल अज़ीम।"
इस पर हज़रत जिब्रईल अलैहिस्सलाम ने फरमाया: "इस कलमे को पहले कलमात से जोड़ लिया जाए।"
तो जोड़ने के बाद मुकम्मल ऐसा हो गया:
"सुब्हानल्लाहि-वल्हम्दुलिल्लाहि- वला-इलाहा, इल्लल्लाहु, वल्लाहु- अकबर वला-हौ-ल-वला, क़ुव्वता इल्ला बिल्लाहिल-अलीय्यिल अज़ीम।"
इस तरह यह कलमा तैयार हुआ।
(नसीहत के मोती, सफ़ा 56-57, माख़ूज़ अज़ तनबीहुल ग़ाफ़िलीन)

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