kalma tayyeba ka sawab अज़ाब से निजात मिल गई
कलमा तय्यबा की बरकत से अज़ाब से निजात हो गई।
अस्सलामु अलैकुम, फातेहा करना इसाले सवाब करना जाइज़ व मुस्तहब है, और हर नेक आमाल का सवाब भेज सकते हैं, इसाले सवाब से मय्यत को फाएदा होता है, मय्यत को इसाले सवाब करने से एक फाएदा यह होता है के अगर गुनहगार है, अज़ाब में गिरफ्तार है, तो उसके अज़ाब में तख़्फीफ होती है, और अगर नेक है तो उसके दर्जात बलंद होते हैं! आइए एक हदीस शरीफ पढ़ें के कलमा तय्यबा कि बरकत से अज़ाब से निजात मिल गई,! हज़रत मुहीउद्दीन इब्ने अरबी फरमाते हैं मुझे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कि यह हदीस पहुंची के जो शख्स सत्तर हज़ार मर्तबा कलमा शरीफ पढ़ ले, उसकी मगफिरत हो जाती है, मैंने इतनी तादाद में कलमा पढ़कर किसी को बख्शा नहीं था, के दावत में जाना पड़ा वहां एक साहिबे कश्फ नौजवान भी था वह खाना खाते हुए रोने लगा मैंने वजह पूछी तो कहने लगा मैंने कश्फ में देखा है कि मेरे मां-बाप को अज़ाब हो रहा है इब्ने अरबी फरमाते हैं कि मैंने दिल ही दिल में वह सत्तर हज़ार मर्तबा पढ़ा हुआ कलमा तय्यबा उसके मां-बाप को बख्श दिया तो वह नौजवान अचानक हंसने लगा मैंने पूछा कि अब क्यों हंसे हो तो कहने लगा के अब उनका अज़ाब हट गया है, फरमाते हैं, मुझे उसके कश्फ से हदीस की सेहत मालूम हुई, और हदीस से उसके कश्फ की सेहत मालूम हुई! (शरह शिफा शरीफ)
दोस्तों मालूम हुआ के मय्यत के लिए कलमा तय्यबा पढ़कर बख्शना बड़ा मुफीद है, और यह जो फातिहा ख्वानी में चनों पर कलमा तय्यबा पढ़ते हैं इसकी वजह यही है, के लोग बजाए इधर-उधर की बातों के कलमा पढ़ते रहैं और मैय्यत के लिए कोई फायदे का काम कर जाएं, यह भी मालूम हुआ के चनों पर जो कलमा तय्यबा पढ़ने को बिदअत कहते हैं और कलमा तय्यबा से रोकते हैं, वह मय्यत के बद ख्वाह हैं खैर ख्वाह नहीं।
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